ट्यूबरक्लोसिस जिसे आमतौर पर क्षय रोग भी कहते है l यह जीवाणुजनित एक खतरनाक बीमारी है,जो शरीर के हर अंग में हो सकती है । ये एक ऐसी बीमारी है जिसकी पहचान आसानी से नहीं हो पाती क्योकि भिन्न भिन्न लोगो में भिन्न रूप में पाई जाती है l इसलिए इसके लक्षणों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। भारत में छह-सात करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है। देश में हर तीन मिनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ देते हैं। हर दिन चालीस हजार लोगों को इसका संक्रमण हो जाता है।
इस बीमारी के जीवाणु का नाम माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस है जो सामान्यतः श्वास के माध्यम से फैलती है और हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। ये बीमारी फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलती है, जैसे हड्डी, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि। ये जीवाणु दूषित पानी या मिट्टी में पाए जाते हैं। ये हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। टी.बी. के बैक्टीरिया सांस से शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, छींकने, बात करने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें मौजूद बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रहते हैं और दूसरे के शरीर में पहुंचकर रोग पैदा करते हैं।
लक्षण
- टीबी एक संक्रामक रोग है। इसकी चपेट में आने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे कमजोर होता चला जाता है। सबसे कॉमन फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
- टीबी का सबसे आम लक्षण है, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना और तेज बुखार आना।
- खांसी बलगम के साथ आती है और कभी-कभार साथ में खून भी आ सकता है। इसके अलावा भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना, सांस उखड़ना या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना वगैरह लक्षण हो सकते हैं और कई बार इसके लक्षण साइलेंट भी होते हैं। टीबी के लक्षण पहचान में आते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और जांचें करवाएं। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि टीबी की दवाओं का कोर्स होता है उसे पूरा करें। बीच में दवा छोड़ना नुकसानदायक हो सकता है।
टीबी के कई लक्षण कैंसर और ब्रॉन्काइटिस के लक्षणों से भी मेल खाते हैं। तीनों बीमारियों में फर्क बतानेवाले प्रमुख लक्षण हैं:
- कैंसर में मुंह से ज्यादा खून आता है। वजन कम हो जाता है लेकिन बुखार ज्यादातर देखने को नहीं मिालता।
- ब्रॉन्काइटिस में सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस लेते वक्त सीटी जैसी आवाज आती है।
- टीबी में सांस की दिक्कत नहीं होती, खांसी आती है और बुखार आता है।
रोग की वजह
अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है क्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। अंधेरी और सीलन भरी जगहों पर भी टीबी का इन्फैक्शन फैलता है क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया अंधेरे में पनपता है। यह किसी को भी हो सकता है क्योंकि यह एक से दूसरे में संक्रमण से फैलता है। स्मोकिंग करने वालों को भी टीबी का खतरा ज्यादा होता है। डायबीटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीज भी टीबी की चपेट में जल्दी आते हैं।