प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है l अधिकांश व्यक्ति सफलता की प्राप्ति के लिए गंभीर प्रयास भी करते हैं, किंतु कई बार उसके बाद भी उन्हें वह वांछित सफलता नहीं प्राप्त हो पाती है जिसकी चाहत उन्हें होती है l वास्तव में लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया गया सूक्ष्म से सूक्ष्म भी व्यर्थ नहीं जाता किंतु जब तक हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते हम सफल नहीं कहे जाएंगे l लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किये गए प्रत्येक प्रयास और प्रत्येक कदम हमें सफलता की ओर ले जाते हैं किंतु जब तक हमें सही दिशा ज्ञात नहीं होगी हम मंजिल तक नहीं पहुंचाएंगे सिर्फ रास्ते का प्रतीक बन कर रह जाएंगे l जब तक हम मंजिल पर नहीं पहुंचेंगे पथ का सफर कितना भी सुहाना हो सफल नहीं माने जाएंगे l सफलता की प्राप्ति कई आयामों पर निर्भर करती है जो भिन्न–भिन्न व्यक्ति के विभिन्न हो सकते हैं किंतु इन विभिन्न आयामों में कुछ आयाम सभी व्यक्तियों में समान हो सकते हैंl सफलता के लिए निम्नलिखित प्रमुख आयामों पर ध्यान देना अति आवश्यक है l
1.लक्ष्य का निर्धारण
सबसे पहले तो लक्ष्य का निर्धारण अति आवश्यक है l अधिकांश व्यक्ति को पता ही नहीं होता कि वह जीवन में क्या चाहते हैं l लक्ष्य का जीवन में होना उतना ही आवश्यक है जितना एक चालक के लिए मानचित्र या नागरिक के लिए कंपास का होना आवश्यक है l हवाएं कितनी भी अनुकूल हो तथा नाविक कितना भी कुशल हो लेकिन यदि नाविक को अपना गंतव्य ही पता नहीं तो व्यर्थ है l अधिकांश व्यक्ति अपने जीवन में हर उस छोटी छोटी बात के लिए परेशान रहते हैं जो वास्तव में उनके जीवन का उद्देश्य ही नहीं होता अतः अपने जीवन में लक्ष्य का निर्धारण करना अति आवश्यक है l
2.अपनी क्षमता एवं संसाधनों का सही आकलन
ऐसा अक्सर सुनने को मिलता है कि मनुष्य के पास असीमित शक्ति होती है और वह कुछ भी कर सकता है l हां यह सत्य है कि मनुष्य कुछ भी कर सकता है किंतु सभी मनुष्य के लिए संभव नहीं की वह सब कुछ कर सके, एक स्थिति के बाद संभावनाएं सीमित हो जाती हैं l यद्यपि कोई कोई विषम परिस्थितियों में असंभव से लगने वाले कार्य को संभव कर आश्चर्यचकित कर सकते हैं किन्तु ऐसे उदाहरण उंगलियों पर गिने जा सकते हैं l अतः अपने लक्ष्य के निर्धारण के समय अपनी क्षमताओं का सही आकलन करना अनिवार्य हैl अपनी क्षमताओं का आकलन करने के बाद संपूर्ण क्षमता का प्रयोग लक्ष्य प्राप्ति के लिए करें l
3. क्षमताओं एवं संसाधनों का समुचित उपयोग
अपनी क्षमताओं एवं संसाधनों का आकलन करने के बाद उसका समुचित उपयोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए करें l याद रखें किस्तों में किया गया प्रयास कभी सफलता प्रदान नहीं करता और सबसे जरूरी बात यह है कि परिणाम कुछ भी हो अपनी जिम्मेदारी लेना सीखें और स्वयं के प्रति ईमानदारी अति आवश्यक है l
Like this:
Like Loading...